रे मन तेरी ये दुस्साहस जो तूने प्रेम रचा डाला,
तिल-तिल जलती इस मन को अब दे छांव प्यार की मिटे ज्वाला II
मन की माने या दुनिया की जो बार बार ये बतलाती है ,
की प्यार आग का दरिया है डूब के ही हमें पार जाना हैii
मन के कोने से आस जगी नहीं डरने की ये बात नहीं ,
प्यार ही तो है नफरत तो नहीं दुनिया की शाश्वत गाथा यही II
मन के कोने से आस जगी नहीं डरने की ये बात नहीं ,
जवाब देंहटाएंप्यार ही तो है नफरत तो नहीं दुनिया की शाश्वत गाथा यही ...
....sundar bhavpurn chitran ke liye dhanyavaad....