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मार्च 11, 2010

man ki baat

मेरे मन की व्यथा कथा है
ये मेरा कविता का जग 
कथा व्यर्थ है व्यथा मर्त्य है 
सनातन ये दुनिया ये जग (१)

मखमली सी ज़मी धरती की
आस्मां का नीला ये बदन
स्थान कहाँ है  व्यथा कथा का
मुखरित हो सारा जीवन(2)

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