तुम अकेले ही नहीं हो -
चॉंद तारे भी सहित
पाँव के नीचे जो धरती है
वो राह दिखलाये
मोह माया त्याग दे
कहीं ये न तुझे भरमाये
दंश भूखे पेट की
तुझको समझना है अभी
बेघरों का आशियाना
तुझको बनना है अभी
शून्य में ही भ्रमण करना
नहीं है नियति तेरा
काल-कवलित सूव्यवस्था-
जीवंत करना है अभी
दिशाहीन तुम यूँ न भटको
करो चुनौती स्वीकार
हिम्मत करो ऐ राहगीर
लहरों से डरना है बेकार
मोतियों को सीपियों से
ढूंढ लाना है कठिन
पर ये मोतियाँ क्या मिलता -
है नहीं बाज़ार मे
प्रबल झञ्झावात का भी
सामना करते है खग
नीड़ पुनः निर्माण हेतु
ढूँढ ही लेते तृण-पत्र
हिला दे सागर की गहराई
वो हिम्मत तुम मे है
हुंकार गूँजे दस दिशाओं में
वो गर्जन तुम में है
बेसहारों का सहारा
बन ही जाओ रे पथिक
लक्ष्य को पाना सरल गर
ठान लो मन मे तनिक
कर्म करना है निरंतर
फल की चिंता है कहाँ
अनचाहा या मनचाहा
परिणाम डरना है कहाँ
बंधन अनैतिकता का तोड़
चिंतन-मनन से नाता जोड़
अतीत के विष को वमन कर
नया अध्याय तू पढ़
|
|---|
फ़ॉलोअर
जून 27, 2014
नया अध्याय तू पढ़
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
-
मै नदी हूँ ............. पहाड़ो से निकली नदों से मिलती कठिन धरातल पर उफनती उछलती प्रवाह तरंगिनी हूँ ...
-
मेरे घर के आगे है पथरीली ज़मीन हो सके तो आओ इन पत्थरों पर चलकर पूनम की चाँद ने रोशनी की दूकान खोली है खरीद लो रोशनी ज़िंदगी रोशन कर ल...
-
मेरी ख़ामोशी का ये अर्थ नही की तुम सताओगी तुम्हारी जुस्तजू या फिर तुम ही तुम याद आओगी वो तो मै था की जब तुम थी खडी मेरे ही आंग...

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें