ईमान क्यों है गड़बड़ाया तेरी सूरत देखकर किताब में रक्खे फूल भी ताजगी दे गयी महककर दिल-ए-दास्ताँ जो कभी बंद थी किताब में शोखियाँ और बांकपन सब छुप गया था नकाब में फिर क्यों ले जाए हमें बहारों के शबाब में सुर फिर से क्यों बजे सुरीली रबाब में क्यों फिर से ज़िन्दगी के कैनवस में रंग दिख गये क्यों फिर से सूखे गुलाब किताबों के बीच महक गये ईमान फिर से गड़बड़ाया तेरी सूरत देखकर फिर से क्यों सूखे फूल ताजगी दे गयी महककर |
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दिसंबर 08, 2011
ईमान क्यों है गड़बड़ाया
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बहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंभाव तो अच्छे हैं... किन्तु-किन्तु...
जवाब देंहटाएंकई बार एक ही बात लिखी गयी है, लिखने से रोक नही प रहा... अन्यथा ना लें...
Hi...
जवाब देंहटाएंPriyatam tere saath hi rahta...
Rahta hai tere khwabon main....
Uske hone se hi khush ho...
Mahke phool kitabon main....
Sundar kavita...mahakti hui...
Deepak..
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंईमान फिर से गड़बड़ाया
जवाब देंहटाएंतेरी सूरत देखकर
फिर से क्यों सूखे फूल
ताजगी दे गयी महककर
गजब के ज
ज्बात।
सुंदर रचना।
बेहद खुबसूरत लिखा है |
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता है ,भाषा सरल और सहज है
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंक्यों फिर से ज़िन्दगी के
जवाब देंहटाएंकैनवस में रंग दिख गये
क्यों फिर से सूखे गुलाब
किताबों के बीच महक गये
खूबसूरत एहसास...!!
फिर क्यों ले जाए हमें
जवाब देंहटाएंबहारों के शबाब में
सुर फिर से क्यों बजे
सुरीली रबाब में
वाह
शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंएक नया
अहसास दिया आपने
जहन से पर्दा उठाया
आपने
ज़िन्दगी जीने का
मकसद समझाया
आपने
फिर से हँसने का
रास्ता दिखाया
आपने
ग़मों में डूबे रहने का
सबब बताया
आपने
गिर कर उठने का
तरीका सिखाया
आपने
शुक्रिया आपका
सूखे लबों को फिर से
थिरकाया आपने
निरंतर रोते हुए को
हँसाया आपने
ati sundar...
जवाब देंहटाएंBahut Sunder Rachna
जवाब देंहटाएंक्यों फिर से ज़िन्दगी के
जवाब देंहटाएंकैनवस में रंग दिख गये
क्यों फिर से सूखे गुलाब
किताबों के बीच महक गये
badhai bahut hi sundar pravishti.... abhar.
ईमान फिर से गड़बड़ाया
जवाब देंहटाएंतेरी सूरत देखकर
फिर से क्यों सूखे फूल
ताजगी दे गयी महककर .very nice