मुद्दत हुए हाल-ए-दिल तुमसे बयान किये हुए फुर्सत में,तन्हाई में लम्हें ढूँढ़ते हुए इश्क-सागर की गहराई नापने चली थी मैं पर तुम मिले - गीली रेत पर कदमों के निशाँ ढूँढ़ते हुए आईने में अपना ही चेहरा पराया सा नज़र आया चंद भींगे लम्हों को मैंने तकिये में है दबाया मुद्दत हुई चाँद से चंद बातें किये हुए तारों की सरजमीं पे रौशनी से नहाते हुए |
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दिसंबर 14, 2011
मुद्दत हुए....
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''इश्क-सागर की गहराई
जवाब देंहटाएंनापने चली थी मैं
पर तुम मिले -
गीली रेत पर कदमों के
निशाँ ढूँढ़ते हुए''
बेहतरीन लाईनें... गजब के जज्बात।
मुद्दत हुई चाँद से
जवाब देंहटाएंचंद बातें किये हुए
तारों की सरजमीं पे
रौशनी से नहाते हुए...bhaut khubsurat abhivaykti.........
आईने में अपना ही चेहरा
जवाब देंहटाएंपराया सा नज़र आया
चंद भींगे लम्हों को मैंने
तकिये में है दबाया
हृदयस्पर्शी एहसास!
बेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
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मुद्दत हुई चाँद से
जवाब देंहटाएंचंद बातें किये हुए
तारों की सरजमीं पे
रौशनी से नहाते हुए
jismei dekho chaand
usee se dil lagaa liyaa karo
बेहतरीन सोच. खूबसूरत कविता.
जवाब देंहटाएंbehtreen abhivaykti....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत अभिव्क्ति...
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत नज़्म दिल मे उतर गयी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब... सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...
बहुत बढ़िया रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्यारी रचना,....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
अमरशहीद मातृभूमि के, गुमनामी में आज खो गए,
भूल हुई शासन दे डाला, सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंना ये ज़मी तेरी ...ना ये आसमान तेरा ....
फिर भी क्यूँ तू तेरी तालाश अब भी अधूरी है...anu
bahut khoobsurat...
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