मैं हूँ और मेरे साथ है मेरा दिल दीवाना ये भी जालिम कभी कभी बनता बेगाना साकिओं मैंखानो में बस तू ही तू है ख़्वाबों की जहां में भी तेरी आरज़ू है इस कमबख्त दिल को तूने लूट लिया रिश्ता तुमने मुझसे आखिर जोड़ लिया जाने किस घडी में मैं जो बना दीवाना तुमने भी उस घडी से नाता जोड़ लिया अब इस जालिम दिल पर मेरा बस नहीं चलता तेरा मेरा रिश्ता जाहिर हो ही गया |
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अगस्त 17, 2011
दिल दीवाना
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
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कदम से कदम मिलाकर देख लिया आसान नहीं है तेरे साथ चलना तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना यूँ तो तू दरिया और ...
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
जवाब देंहटाएंसादर
दिल तो दिल है
जवाब देंहटाएंलूटता भी है
लुटता भी है
निरंतर
धड़कता भी है
टूटता भी है
बहकता भी
रोता भी है
जलता भी है
dil ke baare mein pataa chalaa bahut khoob
बहुत ही सुन्दर....
जवाब देंहटाएंभावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति .बधाई
जवाब देंहटाएंblog paheli
woww nice,,,,
जवाब देंहटाएंUmda prastuti
जवाब देंहटाएंअच्छा है। आभार आपका आप मेरे ब्लाग तक आए
जवाब देंहटाएंbadhia rachna..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंwaah... bahut khoob kahi...
जवाब देंहटाएंसूफियाना गंध
जवाब देंहटाएंकल 30/08/2011 को आपके दिल की बात नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंइस कमबख्त दिल को तूने लूट लिया
जवाब देंहटाएंरिश्ता तुमने मुझसे आखिर जोड़ लिया |
बहुत खूब दोस्त जी |
सुन्दर रचना |