यथार्थ के धरातल पर ले आऊं मैं तुझे
माना कि ये दुनिया बहुत हसीं है
पर कठिनाई भरा रास्ता भी पथ में पड़ी है
जिस दुनिया में है सूरज चाँद सितारे
वहीं रहते है अत्याचारी हत्यारे
गर जीना है यहाँ तो रहना है संभलकर
न जाने कब तू गिर पडेगा फिसलकर
ख़्वाबों को हकीकत का रंग तो दे दो
हकीकत को ख़्वाबों से सींच कर चलो
शब्दों से यथार्थ का लघु वर्णन अपनी भावनाओ को आवाज़ देने के समान है. इस कविता से एक ऐसी ही सच्चाई दृष्टिगोचर है. अपने लेख द्वारा ऐसे ही हमें प्रेरित करते रहें..
जवाब देंहटाएंPhew !! Hindi typing is so much difficult, even with the gadget given in the sidebar.
Following this blog from now :)
बहुत खूबसूरत है आपके विचार।
जवाब देंहटाएं---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
sundar..!
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