फ़रवरी 08, 2012

पेड़ के ....


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पेड़ के पीछे से
झरनों के नीचे से
नदियों के किनारे से
बागियों के दामन से
पहाड़ों की ऊँचाई से
नाम तेरा पुकारूं


पेड़ो से टकराकर
झरनों से लिपटकर
नदियों से बलखाकर
बागियों को महकाकर
पहाडो की वादियों से
नाम तेरा गूंजे
तुझे कई बार सुनाई दे





10 टिप्‍पणियां:

  1. पहाडो की वादियों से
    नाम तेरा गूंजे
    तुझे कई बार सुनाई दे

    बहुत सुन्दर सोच

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  2. पेड़ के पीछे से
    झरनों के नीचे से
    नदियों के किनारे से
    बागियों के दामन से
    पहाड़ों की ऊँचाई से
    नाम तेरा पुकारूं


    पेड़ो से टकराकर
    झरनों से लिपटकर
    नदियों से बलखाकर
    बागियों को महकाकर
    पहाडो की वादियों से
    नाम तेरा गूंजे
    तुझे कई बार सुनाई दे
    शानदार, एक जूनून सा झलकता है कविता में !

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  3. वाह बहुत खूब ...हर भाव नज़र आ गया इस छोटी सी कविता में

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