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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
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तू है वक़्त गुज़रा हुआ मुरझाया फूल किताबों में रखा तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा कि दिल में तू नहीं अब कोई और है तुम से खिला क...
पहाडो की वादियों से
जवाब देंहटाएंनाम तेरा गूंजे
तुझे कई बार सुनाई दे
बहुत सुन्दर सोच
क्या बात है.....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंbahut komal ehsaas bahut khoob.
जवाब देंहटाएंBahut hi sunder kavita
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंpriyatam ko paane ke liye saare yatn karne padte hein
जवाब देंहटाएंपेड़ के पीछे से
जवाब देंहटाएंझरनों के नीचे से
नदियों के किनारे से
बागियों के दामन से
पहाड़ों की ऊँचाई से
नाम तेरा पुकारूं
पेड़ो से टकराकर
झरनों से लिपटकर
नदियों से बलखाकर
बागियों को महकाकर
पहाडो की वादियों से
नाम तेरा गूंजे
तुझे कई बार सुनाई दे
शानदार, एक जूनून सा झलकता है कविता में !
short, yet sweet.
जवाब देंहटाएंis kavita ke liye shukriya =)
वाह बहुत खूब ...हर भाव नज़र आ गया इस छोटी सी कविता में
जवाब देंहटाएंwah kya khoob likha hai Ana ji apne ...badhai.
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