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जुलाई 13, 2022

आशियाना...the home

Khwab nahin hai unche mahlon ka 
Jahan band darvaje aur khidkiyan ho paband 
mujhe chahie aashiyana un diwaron ka 
Jisme khuli Ho khidkiyan aur  bastaa ho Anand
ख्वाब नहीं है मुझे ऊंचे महलों का 
जहां बंद दरवाजा और खिड़कियां हो पाबंद 
मुझे चाहिए आशियाना उन दीवारों का
जिसमें खुली हो खिड़कियां और बसता हो आनंद 
© अनामिका 

8 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. बहुत जरुरी हो गयी है एक "खुली खिड़की "आजकल , सुन्दर सृजन
    सादर वंदन आदरणीय !

    जवाब देंहटाएं

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