ख़्वाब तेरी किरचियाँ बन आँखों को अब चुभने लगी
गम की आँधियाँ इस तरह ख्वाबों के धूल उड़ा गए
मंज़िल पास थी रास्ता साफ था दो कदम डग भरने थे
गलतफहमी की ऐसी हवा चली सारे रास्ते धुंधला गए
बड़े शिद्दत से फूलों में बहार-ए-जोबन आयी थी
वक्त के साथ मिरे गजरे के सारे फूल मुरझा गए
मुहब्बत का दम भरने को दिल ने न चाहा फिर भी
बादल,चाँद, सितारे आँखों के आगे लहरा गये
बेहतरीन कविताओं का संग्रह है आपका ब्लॉग ।
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