मेरे गाँव में आना......................
जहां नदी इठलाती हुई कहती है
आजा पानी में तर जा
ये अमृत सा बहता है
मेरे घर का पता ...............
आम के पेड़ के पीछे
पुराने मंदिर के नीचे
जहां भगवान् बसते है
मेरी शिक्षा-दीक्षा..................
किताब से बाहर यथार्थ के धरातल पर
बड़ों को सम्मान पर स्वयं पर आत्मनिर्भर
मेरे मन की शक्ति ..................
अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध
आवाज़ उठाना विरोध जताना
सबको ये महसूस कराना
अपने अधिकार और कर्तव्य
पर करो चिंतन
पर मेरे गाँव के लोग ....................
बड़े भोले-भाले से
रहते है सीधे-सादे से
करते है सहज बात
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बहुत अच्छी रचना। मौलिक चिंतन और संस्मरणात्मक अभिव्यक्ति। बधाई!
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