जुलाई 18, 2023

उदासियां

तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर
मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया

चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ
गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गया

क़ाबिल था भरोसा था खूब खुद पर
जालिम दुनिया से मगर ये भी न देखा गया

उम्र कट रही मेरी पहर पहर जागकर
उनींदा रहता हूँ ये चाँद से भी न रहा गया

उजाला ए क़मर औ' तारों की जगमगाहट है
दिल ए तीरगी से पर ये रोशनी भी न सहा गया







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