नवंबर 06, 2022

देर न लगेगी


हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर
अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी

टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर
अब वफ़ाओं के मुस्कुराने में देर न लगेगी

वो आलम वो लम्हा जो गवाह थे फ़साने के
उन लम्हो को बीतने में ज़रा भी देर न लगेगी

वो पुराना रास्ता गुलों से जो लबालब था
हवाला ए खिज़ा में अब उसे देर न लगेगी

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