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जुलाई 30, 2022

वजूद अपना






















कदम से कदम मिलाकर देख लिया 
आसान नहीं है तेरे साथ चलना 

तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी 
मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना 

यूँ तो तू दरिया और मैं बरसता पानी  
धरम हमारा एक है यही कहता है ज़माना 

पर याराना न हो जो दोनों दिलों में 
मुमकिन नहीं छत ओ  दीवार का एक होना 

@अनामिका घटक 

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 01 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. पर याराना न हो जो दोनों दिलों में
    मुमकिन नहीं छत ओ दीवार का एक होना ।
    बहुत खूब ।

    जवाब देंहटाएं
  3. यहाँ हर किसी को अपनी राह बनानी होती है

    जवाब देंहटाएं

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