अवध के शाम का गवाह बन के जियो
नवाबों के शहर में नवाब बन के जियो
भूलभुलैया में तुम ढूँढ लो ये ज़िन्दगी
या तो 'पहले आप' के रिवाज़ में ही जियो
दोआब का शहर गोमती के गोद मे
चिकनकारी में सज धज के तुम भी जियो
भजन और अजान से गूंजता है जो शहर
उस लखनपुर को दिल मे बसा के जियो
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