जीवन ये ख़ामोशी से सलवटों में समां जाती है कल और आज के बीच का बंटवारा हो न सका कई टुकडो में ज़िन्दगी को खुरचती चली जाती है तनहा गुज़र-बसर करना है इक नशा जीवन का फंदों के अक्स से खेलना है इक नशा प्रीतम का टुकड़ों में बँटी ज़िन्दगी को बुनते चले जाते है दरख्तों को आंसुओ से भरते चले जाते है मद्धिम सी रौशनी है तारो का जमघट है नहीं अब चाँद भी छोड़ चूका साथ ...उषा का स्वागत है अब हर रात चाँद और मै..... रिश्ते बुनते जाते है ज़िन्दगी के तहों से सलवटे हटाते जाते है |
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jindagi ki salvatte. dil ko chhoo gayee:)
जवाब देंहटाएंbehtareen.........
मद्धिम सी रौशनी है तारो का जमघट है नहीं अब
जवाब देंहटाएंचाँद भी छोड़ चूका साथ ...उषा का स्वागत है अब
हर रात चाँद और मै..... रिश्ते बुनते जाते है
ज़िन्दगी के तहों से सलवटे हटाते जाते है
एक मैं ही जागू ,सारा जग सोये ,
हाय जिया रोये ....सुन्दर रचना ....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंआना जी सुंदर अभिव्यक्ति और बहुत सुंदर ब्लॉग ...आज ही ज्वाइन कर लिया ...!!
जवाब देंहटाएंकई टुकडो में ज़िन्दगी को खुरचती चली जाती है....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!!!
रचना अच्छी लगी। स्वागत।
जवाब देंहटाएंटुकड़ों में बँटी ज़िन्दगी को बुनते चले जाते है
जवाब देंहटाएंदरख्तों को आंसुओ से भरते चले जाते है,,,,
वाह !! क्या बात है बहुत ही सुंदर भाव संयोजन से सजी भावपूर्ण अभिव्यक्ति....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
सुंदर नज़्म ......
जवाब देंहटाएंवाह ... गहरी नज़्म ...गहरे एहसास लिए ...
जवाब देंहटाएंसंवेदना और कोमलतम अह्सासों से भरपूर बहुत ही बेहतरीन रचना ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंटुकड़ों में बँटी ज़िन्दगी को बुनते चले जाते है
जवाब देंहटाएंदरख्तों को आंसुओ से भरते चले जाते है!
प्यारी सी नज़्म !
bahut achchi lagi......
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंjindgi ke pahluo ko chhuti hui sundar abhi vyakti
जवाब देंहटाएंवाह ...गहरी सोच
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