नवंबर 29, 2011

कुछ फर्क नहीं पड़ता

नेता कर ले चाहे बड़े-बड़े घोटाले 
पशुओ को पड़े चाहे चारों के लाले 
वतन हो जाए चाहे दुश्मनों के हवाले 
पर कुछ फर्क नहीं पड़ता ||


विदेशी सरकार चाहे देश को लूटे
भाषाई अखण्डता चाहे खंड-खंड टूटे 
सरकारी नीति चाहे कहर बन टूटे 
पर कुछ फर्क नहीं पड़ता ||


महंगाई का मार हमने सहर्ष झेला
कुटीर उद्योगों को हमने कूएं में धकेला 
प्राकृतिक उपादानो को यूं ही बेकार कर दिया 
पर कुछ फर्क नहीं पड़ता ||


प्रशासन नेताओं की कठपुतली बन रह गयी 
दबंगों की दबंगई जनता को बेहाल कर गयी 
हत्यारों लुटेरों ने आतंकियों से नाता जोड़ लिया 
सुन लो देश  के तथाकथित आकाओं !!!!!!!
आम जनता को फर्क पड़ता है ||

16 टिप्‍पणियां:

  1. fark to padtaa hai bhai .... josh jagati post best wishes... new post dali hai aapka svagat hai http://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/11/blog-post_29.html

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  2. बहुत सार्थक और सटीक प्रस्तुति..

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  3. आम जनता की नियति यही है....
    अफसोस।

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  4. आम जनता को फर्क पड़ता है..
    bas itna hi...
    isse jyada kuchh fark nahin padhta....!!

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  5. कुछ काव्य-कला पक्ष पर भी ध्यान दें....

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  6. अच्छा लिखा है आपने...
    और मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद

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  7. प्रशासन नेताओं की कठपुतली बन रह गयी
    दबंगों की दबंगई जनता को बेहाल कर गयी
    हत्यारों लुटेरों ने आतंकियों से नाता जोड़ लिया
    सुन लो देश के तथाकथित आकाओं !!!!!!!
    आम जनता को फर्क पड़ता है ||

    सुन्दर व्यंग रचना .... सप्रेम आभार | .

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  8. सच कहा है किसी को फर्क नहीं पड़ता ...

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