मुरझाया फूल किताबों में रखा तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा कि दिल में तू नहीं अब कोई और है तुम से खिला करती थी जो बगिया इंतज़ार में पल गिनता था ये छलिया अब उन लम्हों में खुशबू बिखेरा जिसने वो अब तुम नहीं कोई और है ख़्वाबों में, नींदों में, ख्यालों में नहीं तुम राह पर, मोड़ पर , धडकन में नहीं तुम अब रात गुज़रती है जिनके अरमान लिए वो अरमान नहीं तुम ..कोई और है वो जो है मेरी आज की ख्वाहिश उसका सदका उतार दूं न रहे खलिश बिछड़ने का डंक डसा था जिसने वो कोई और नहीं वो तू ही है |
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bahut badhiyaa anaji
जवाब देंहटाएंतू है वक़्त गुज़रा हुआ
मुरझाया फूल किताबों में रखा
तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा
कि दिल में तू नहीं अब कोई और है
kismat teree kharaab hai
ab koi aur mere saath hai
kismat teree kharaab hai
जवाब देंहटाएंab koi aur mere saath hai
bahut khoob rajendra ji
तू है वक़्त गुज़रा हुआ
जवाब देंहटाएंमुरझाया फूल किताबों में रखा
तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा
कि दिल में तू नहीं अब कोई और है... bhaut hi khubsurat.... rachna...
अब रात गुज़रती है जिनके अरमान लिए
जवाब देंहटाएंवो अरमान नहीं तुम ..कोई और है
गजब का लिख हैं मुबारक हो
बहुत खूब. क्या शानदार रचना है. सादर
जवाब देंहटाएंशानदार रचना
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
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सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंगहरे अहसास।
साथ में तस्वीर गजब की।
khubsurat ehsaas....
जवाब देंहटाएंशानदार रचना....बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंवक़्त गुजरा हुआ तू नहीं कोई और है ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह ...बहुत खूब शब्द दिये हैं आपने गुजरे हुए वक्त को ...
जवाब देंहटाएंकल 16/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।
धन्यवाद!
बहुत अच्छे भाव,बधाई !
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना....
जवाब देंहटाएंसादर...
इतनी तोहमतें पर इतनी ही यादें सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंख़्वाबों में, नींदों में, ख्यालों में नहीं तुम
जवाब देंहटाएंराह पर, मोड़ पर , धडकन में नहीं तुम
अब रात गुज़रती है जिनके अरमान लिए
वो अरमान नहीं तुम ..कोई और है
खूबसूरत सा एहसास जो है
वो तुम नहीं.....!!
लोकतंत्र के चौथे खम्बे पर अपने विचारों से अवगत कराएँ ।
जवाब देंहटाएंऔचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता
पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
जवाब देंहटाएंआपकी खूबसूरत भावपूर्ण प्रस्तुति पढकर
मन मग्न हो गया है.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
बहुत खूब .. सहमत हूँ की सूखे फूलों को निकाल फैंकना चाहिए ..
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivyakti, badhai.
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