नवंबर 14, 2011

वक़्त गुज़रा हुआ


तू है वक़्त गुज़रा हुआ 
मुरझाया फूल किताबों में रखा 
तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा 
कि दिल में तू नहीं अब कोई और है 


तुम से खिला करती थी जो बगिया 
इंतज़ार में पल गिनता था ये छलिया 
अब उन लम्हों में खुशबू बिखेरा जिसने 
वो अब तुम नहीं कोई और है 


ख़्वाबों में, नींदों में, ख्यालों में नहीं तुम 
राह पर, मोड़ पर , धडकन में नहीं तुम 
अब रात गुज़रती है जिनके अरमान लिए 
वो अरमान नहीं तुम ..कोई और है 


वो जो है मेरी आज की ख्वाहिश 
उसका सदका उतार दूं न रहे खलिश 
बिछड़ने का डंक डसा था जिसने 
वो कोई और नहीं वो तू ही है 



21 टिप्‍पणियां:

  1. bahut badhiyaa anaji

    तू है वक़्त गुज़रा हुआ
    मुरझाया फूल किताबों में रखा
    तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा
    कि दिल में तू नहीं अब कोई और है
    kismat teree kharaab hai
    ab koi aur mere saath hai

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  2. kismat teree kharaab hai
    ab koi aur mere saath hai

    bahut khoob rajendra ji

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  3. तू है वक़्त गुज़रा हुआ
    मुरझाया फूल किताबों में रखा
    तुझे न याद करूँ एक पल से ज्यादा
    कि दिल में तू नहीं अब कोई और है... bhaut hi khubsurat.... rachna...

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  4. अब रात गुज़रती है जिनके अरमान लिए
    वो अरमान नहीं तुम ..कोई और है
    गजब का लिख हैं मुबारक हो

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  5. बहुत खूब. क्या शानदार रचना है. सादर

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  6. सुंदर रचना।
    गहरे अहसास।
    साथ में तस्‍वीर गजब की।

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  7. वक़्त गुजरा हुआ तू नहीं कोई और है ...
    बेहतरीन !

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  8. वाह ...बहुत खूब शब्‍द दिये हैं आपने गुजरे हुए वक्‍त को ...

    कल 16/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।

    धन्यवाद!

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  9. इतनी तोहमतें पर इतनी ही यादें सुन्दर रचना

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  10. ख़्वाबों में, नींदों में, ख्यालों में नहीं तुम
    राह पर, मोड़ पर , धडकन में नहीं तुम
    अब रात गुज़रती है जिनके अरमान लिए
    वो अरमान नहीं तुम ..कोई और है

    खूबसूरत सा एहसास जो है

    वो तुम नहीं.....!!

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  11. पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
    आपकी खूबसूरत भावपूर्ण प्रस्तुति पढकर
    मन मग्न हो गया है.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  12. बहुत खूब .. सहमत हूँ की सूखे फूलों को निकाल फैंकना चाहिए ..

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