मार्च 22, 2011

वो लम्हे ...



वो लम्हे ....
जो साथ गुज़ारे थे 
ख्वाब सजाये थे 
नींद उडायी थी
याद तो है न!
.........
वो प्यार........
जिसे लम्हों ने सींचा था 
पलकों पर सजाया था 
उसके खुशबू के दामन से 
जीवन महकाया था 
याद तो है न!
...........


वो दिन........
जीने मरने की हम 
कसमे जो खाते थे 
साथ न छोड़ेंगे 
कहते न थकते थे 
याद तो है न!
..............
फिर क्यों .......
ये दूरी मजबूरी 
धागे रिश्तो के ये 
टूटी ..जो न फिर जुड़ी
आखिर भूल ही गए न !!!!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. दिल को छू लेने वाली कविता हैं,
    सचमुच बहुत सुन्दर बात कही हैं अपने.

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  2. सुन्दर अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई

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  3. बेहद खूबसूरत.... दिल को छू गई यह कविता...

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  4. बहुत सुंदर अभिवयक्ति| धन्यवाद|

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