आसमान का रंग है नीला हरी-हरी सी धरती
मटमैला है रंग ज़मीं की पर रंग नहीं है जल की
हर रंग में यह ढल जाती है है यह बात गजब की
नष्ट न करो इस अमृत को संरक्षण कर लो जल की
पीकर घूँट अमृत की जन-जन धन्यवाद दो इश्वर को
बेकार न हो जाये जीवन पानी को सांस समझ लो
ye kafi acha likha hai aapne... agar abhi kuch na kiya gaya to aane wale dino mei jaal ki samasya kafi gambhir ho jayegi!!
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