कविता

ज़िन्दगी की तारीखें तो पहले से ही तय है हमें तो बस उन तारीखों में जिए जाना है

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जुलाई 18, 2023

उदासियां

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तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
नवंबर 06, 2022

देर न लगेगी

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हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
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अगस्त 06, 2022

डर

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तुझे जनता हूँ मैं जितना शायद ही कोई जाने तुझे अंधेरे से डर लगता है तू माने या न माने कोई चींटी भी न आ जाये तेरे पैरों के नीचे सह...
1 टिप्पणी:
अगस्त 01, 2022

मुहब्बत

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कुछ दिनों से मैं अक्सर ना-साज़ सा रहने लगा हूँ ये क्या बला है मुहब्बत नाराज़ सा रहने लगा हूँ Kuchh Dinon Se Main Aksar NASAZ Sa Ra...
4 टिप्‍पणियां:
जुलाई 30, 2022

वजूद अपना

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कदम से कदम मिलाकर देख लिया  आसान नहीं है तेरे साथ चलना  तुझे अपनी तलाश है मुझे अपनी  मुश्किल है दो मुख़्तलिफ़ का साथ रहना  यूँ तो तू दरिया और ...
12 टिप्‍पणियां:
जुलाई 26, 2022

अहम

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हर घड़ी में खुद को #व्याप्त रखती हूं मैं #नाव हूँ खुद ही #पतवार बनती हूँ बरसों #गुम थी न जाने किस #जहां में  इस जहाँ में ही अब #आ...
2 टिप्‍पणियां:
जुलाई 18, 2022

मुलाक़ात

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Tujhe khokar bahut dinon tak dhoondha tujhe Maine Aa bhi jao janejan ke Kai din hue khud se  Mile hue तुझे खोकर बहुत दिनों तक ढू...
4 टिप्‍पणियां:
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