अगस्त 06, 2015

भींगी हुई आँखों से.........












भींगी हुई आँखों से जाती हुई रातों ने ,
जाने क्या-क्या कह गयी उसने बातों बातों में ॥ 

बातें जो कह गयी चुपके से रातों ने , 
अश्कों ने लिख दिए लम्हों की ज़ुबानी ये ॥ 

अश्कों के बूंदों में डूबी हुई ज़िन्दगी , 
जाने कब सुबह हो और ये आँखें खुलें ॥ 

न रहे हम होश में ख़ामोश है ज़िन्दगी ,
आ बैठें पहलू में सुन लूं तेरी ख़ामोशी ॥ 

मैं भी अंजाना हूँ ,तू भी अंजानी है ,
अंजानी रातों का बस ये कहानी है ॥ 

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