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अप्रैल 06, 2016

वो दिन बारिश के.....











याद है वो दिन बारिश के ?
जब भी निकले- छाते को बंद कर  -
लटकाए से घूमा करते थे -


भींगना था पर पानी में ही नही ,
तुम्हारे साथ बीते हुए पलों के
 बौछारों में -

सनसनाती हवाएं , सोंधी सी 
मिटटी की खुशबू , बताये देती थी ,
मौसम भींगा है -

बहुत देर तक - चुपचाप-जाते हुए 
लम्हों को देखा करते थे - कोशिश थी -
पकड़ने की-

वक्त अपने वक्त के हिसाब से -
वक्त दिखाकर चला गया-हम लम्हों -
को ढूँढ़ते रह गए -

रास्ते अब भी वहीं है -
बारिश के दिनों में भींगती हुई -      
बस दो हाथ अलग हुए ॥ 

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