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नवंबर 24, 2013

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इस blog का  Total pageview  एक लाख के ऊपर पहुंच गया है।   इस    ब्लॉग के सभी पाठकों को अजस्र  धन्यवाद। आशा है आगे भी आप सब का आशीर्वाद यूं ही प्राप्त करती रहूँगी। मेरे पुराने पोस्ट से  एक रचना पेश है। 


(1)
चाँद खिला पर रौशनी नही आयी
रात बीती पर दिन न चढ़ा
अर्श से फर्श तक के सफ़र में
कमबख्त रौशनी तबाह हो गयी। 
(2)
दिल की हालत कुछ यूं बयान हुई
कुछ इधर गिरा कुछ उधर गिरा
राह-ए-उल्फत का ये नजराना है जालिम
न वो तुझे मिला न वो मुझे मिला  ।




नवंबर 15, 2013

शाश्वत और साकार .........

Art Image




एक मुट्ठी धूप पसरा है छत पर
सोचती हूँ बादल का कोइ टुकड़ा ;
गर ढक ले इस सुनहरे धूप को,
तो क्या आँच आएगी इस आँच को !!

आभास हुआ ......
बादल तो नटखट है
उड़ जाएगा हवा के साथ
अटखेलियां  करता हुआ
पर धूप से बादल की मित्रता तो क्षणिक है,,
वायु  और घन का साथ प्रामाणिक है ;
अस्तित्व धूप का निर्विकार है,
जीवन रस सा शाश्वत और साकार है

धूप का आवागमन निर्बाध है
ग्रहण से क्षणिक साक्षात्कार है,
बस यूँ ही सृष्टि का चलाचल है
धूप, बादल, ग्रहण इसी का फलाफल है ।।















  

नवंबर 09, 2013

अमावस में बिखेरूँगी.......



painting by sh raja ravi verma


चुप हूँ मैं.…पर उदास नहीं 
सपने ओझल हुए पर बुझे नहीं 
है  अनोखी सी ये ज़िन्दगी 
और ये गुज़रते वक़्त का साथ  ॥ 

दिन-दोपहर-रात..... एक सा !
आँखों में फैला एक धूआं सा ,
छांव की तलाश में है आँखें उनींदी ,
जाने कोई पकड़ ले वक़्त का हाथ    !!

शहद सी मीठी जीवन की आस ,
पर लम्हों से जुड़े है वक़्त की शाख़ ,
काल-दरिया में बहना न चाहूँ मैं ,
इश्क़ का मोहरा ग़र दे दे साथ   ॥ 

एकाकी जीवन रोशन कर ली मैंने ,
सूरज को आँचल में छुपाया है मैंने ,
चांदनी की छटा भी समेट लिया है ,
अमावस में बिखेरूँगी जगमगाता प्यार !!



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