देख रही थी एकटक सितारों को
आसमान पिघलने लगा ,
चाँद की चांदनी पड़ी मद्धिम -
बादल छाने लगा ।।
दूर गगन में तारों की महफ़िल
एकाएक सजने लगी
बादल का ओट लेकर फिर से
रौशनी मचलने लगी ।।
देख मचलना तारों का
इक आस सी जगी
सुना है टूटता तारा
करता है मुराद पूरी ।।
थाह नहीं मेरे जज्बातों का
बादल से शिकायत कर बैठी
छंट गए बादल खुला आसमान
रौशनी फिर चढ़ बैठी ।।