आँखों से नींदे बहे रे
सपने सजन के कहे रे
महल सुनहरे ख्वाब का
बना ले नींद-ए-जहां में
हवा में उड़े है वो सारे
नींदों में बसा जो सपना
क़ैद ख्वाबगाह में कर ले
हो जायेगा वो अपना
समय से परे कहीं पर
सजा ले जहां वहीँ पर
जमीं पर ख्वाब गिरे तो
दरक न जाये हसीं पल ।।
आँखों के नींद कहे रे
चुपके से सुन सजन रे
सुरों में ढले जो सपने
जहां सारा सुने रे ।।
पलकों के नीचे है बसेरा
फलक तक जाए हर रात
होंठों को छू ले जो ये
उजाला होवे सवेरा ।।
समय से परे कहीं पर
सजा ले जहां वहीँ पर
जमीं पर ख्वाब गिरे तो
दरक न जाये हसीं पल ।।
आँखों के नींद कहे रे
चुपके से सुन सजन रे
सुरों में ढले जो सपने
जहां सारा सुने रे ।।
पलकों के नीचे है बसेरा
फलक तक जाए हर रात
होंठों को छू ले जो ये
उजाला होवे सवेरा ।।