भीगे दिन रात और नम हैं पलके
आँखों में धुएं से सपने
ख्वाबों ने रात है बुझाये
सुलगती है आंसू नयन में
बारिश है आग लगाती
भीगे दिन रात और नाम ही पलके
तुझे दिल याद करती है
छलका के नीर नयनों में
गिले शिकवे भुलाकर दिल
संजोये ख्वाब पलकों में
ग़म में डूबा इस दिल को
बूंदों ने उबारा है
बारिश की नेह-बूंदों से
सपनों को सजाया है
सपनो को हकीक़त से
सींचने तुम आओगे
कांच की इन बूंदों से
बगिया ये महकाओगे
रिश्तों को जी लेने दो
बस नाम का रिश्ता नहीं
आ जाओ इस सावन में
रिश्तों को नाम दे दो
सींचने तुम आओगे
कांच की इन बूंदों से
बगिया ये महकाओगे
रिश्तों को जी लेने दो
बस नाम का रिश्ता नहीं
आ जाओ इस सावन में
रिश्तों को नाम दे दो