ऐसे उदास नज़रों से न देखो
दिल दहल जाएगा
उदास क्यों हो बता दो गर
दिल बहल जाएगा
माथे पर शिकन
आँखों में उदासी
चेहरा बेनूर कर देगा
परेशान क्यों हो
रास्ते कई है
उलझन है सुलझ जाएगा
मित्र,सखा,बंधु
कुछ भी कह लो मुझे
मै हूँ हर पल
साथ तुम्हारे
मानो न मानो
अपना मुझे तुम
इस कठिन घड़ी में हूँ
आस पास तुम्हारे
फ़ॉलोअर
जून 27, 2010
जून 23, 2010
ख़्वाबों की दुनिया ..................
ख़्वाबों की दुनिया से जगाऊँ मैं तुझे
यथार्थ के धरातल पर ले आऊं मैं तुझे
माना कि ये दुनिया बहुत हसीं है
पर कठिनाई भरा रास्ता भी पथ में पड़ी है
जिस दुनिया में है सूरज चाँद सितारे
वहीं रहते है अत्याचारी हत्यारे
गर जीना है यहाँ तो रहना है संभलकर
न जाने कब तू गिर पडेगा फिसलकर
ख़्वाबों को हकीकत का रंग तो दे दो
हकीकत को ख़्वाबों से सींच कर चलो
जून 13, 2010
क्या लिखूं.............
क्या लिखूं आज समझ न आये
कविता , कहानी या ग़ज़ल
वर्ण, छंद लय हाथ न आये
स्वयं रचूं या करूँ नक़ल
पर रचना अपने आप जो आये
उसकी महत्ता ही निराली है
शब्द जो स्वयं रच जाए
अपनी रचना वो कहलाती है
अपने भावों को शब्दों में ढाला
तो कविता रच गयी
धीरे - धीरे खोयी व्यंजना
शब्दों में आकर ढल गयी
इस तरह मेरे कविता को
एक शरीर मिल गया
खोयी हुई अपनी काया को
अंतत: कविता ने हासिल कर लिया
कविता , कहानी या ग़ज़ल
वर्ण, छंद लय हाथ न आये
स्वयं रचूं या करूँ नक़ल
पर रचना अपने आप जो आये
उसकी महत्ता ही निराली है
शब्द जो स्वयं रच जाए
अपनी रचना वो कहलाती है
अपने भावों को शब्दों में ढाला
तो कविता रच गयी
धीरे - धीरे खोयी व्यंजना
शब्दों में आकर ढल गयी
इस तरह मेरे कविता को
एक शरीर मिल गया
खोयी हुई अपनी काया को
अंतत: कविता ने हासिल कर लिया
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
-
हमने रखे हैं नक्शे पा आसमां के ज़मीं पर अब ज़मीं को आसमां बनने में देर न लगेगी टांग आयी हूँ सारे ग़म दरो दीवार के खूंटी पर अब वफ़ाओं...
-
तूने दिखाया था जहां ए हुस्न मगर मेरे जहाँ ए हक़ीक़त में हुस्न ये बिखर गया चलना पड़ा मुझे इस कदर यहाँ वहाँ गिनने वालों से पाँव का छाला न गिना गय...
-
ये धूप की बेला ये छांव सी ज़िन्दगी न चांदनी रात न सितारों से दिल्लगी जमी हूँ मै शिला पर - बर्फ की तरह काटना है मुश्किल...