बादलों की गर्जना में
नीर भी है पीर भी
कौन से वो आंसू है वो !
खार भी है सार भी।।
वेदना के अश्रु है या
शबनमी बूंदों का खेल
या धरा पर उतरती है
झर झर झरनों का बेल ॥
गात,पात,घाट,बाट
प्लावित तन छलछलात
विरही हृदय छटपटाये
प्रणय सुर स्मरण आये ॥
सप्तरंग रंग बिखेरे
सावन संग-संग ले फेरे
ग्रीष्म-ताप भी भीगे रे
झूम के सावन आये रे ॥