सितंबर 06, 2011

गुज़ारिश


रास्तों पर चौराहों पर
ये फटे पुराने चीथड़ों पर
ज़िन्दगी गुज़रती है जिनकी
ज़रा सुध ले लो उनकी

 जहां खाने के पड़े लाले है
जहां पैरों पे पड़े छाले हैं
जिनके किस्मत पर पड़े ताले है
ज़रा बन जाओ उनकी कुंजी

मंदिर मस्जिद जो तोड़े हैं
गावों शहरों में बम फोड़े हैं
प्राणों पर संकट जो डाले हैं
ज़रा ले लो खबर उनकी




7 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा चिन्तन....रचना के माध्यम से.

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  2. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना| धन्यवाद|

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  3. मंदिर मस्जिद जो तोड़े हैं
    गावों शहरों में बम फोड़े हैं
    प्राणों पर संकट जो डाले हैं
    ज़रा ले लो खबर उनकी... सही कहा आपने....

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