अगस्त 14, 2011

हे कवि बजाओ...

स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य पर प्रस्तुत है मेरी ये  कविता 

हे कवि बजाओ मन वीणा 
छेड़ो तुम जीवन के तान 
शब्द शिखर पर आसीन हो तुम
छेड़ो तुम जन-जन का गान 

गीत छेड़ो स्वतन्त्रता के
झूठ छल-कपट का हो अवसान 
सत्य अहिंसा ईमान का
जग में करना है उत्थान 

मौन रह गए गर तुम कविवर 
छेड़ेगा कौन सत्य अभियान 
कलम को हथियार बनाकर 
करो जन-जन का आहवान

उठो -जागो लड़ो-मरो 
करो देश के लिए बलिदान 
कवि तुम चुप न रहो -कह दो 
सत्य राह हो सबका ध्यान

7 टिप्‍पणियां:

  1. उठो -जागो लड़ो-मरो
    करो देश के लिए बलिदान
    कवि तुम चुप न रहो -कह दो
    सत्य राह हो सबका ध्यान
    good lines,

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  2. कलम को हथियार बनाकर
    करो जन-जन का आहवान

    सच कहा.... सुन्दर लेखन...
    सादर..

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  3. उठो -जागो लड़ो-मरो
    करो देश के लिए बलिदान
    कवि तुम चुप न रहो -कह दो
    सत्य राह हो सबका ध्यान

    सही समय पर सही सन्देश देती बेहतरीन रचना. बधाई.

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें.

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