अगस्त 09, 2011

चुप-चुप है ..............

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चुप-चुप है मौन प्यार ,खिल खिल जाए बहार
जब जब होवे दीदार ,तुम बस कोई नहीं


ये क्या मौसम का हाल ,क्या है ये वक्त की चाल
क्यों है इश्क में बेहाल ,हम-तुम और कोई नहीं


कशमकश मेरे मन में,समाई हो तुम धड़कन में
टूट न जाए ये बंधन ,तेरे बगैर बस कोई नही


धरती चाँद और ये गगन ,कर दूं मैं तुझे समर्पण 
सूना था दिल का आँगन ,तुम-ही-तुम कोई नही 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खुबसूरत प्यार की अभिवयक्ति....

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  2. कशमकश मेरे मन में,समाई हो तुम धड़कन में
    टूट न जाए ये बंधन ,तेरे बगैर बस कोई नही

    Wah ...

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  3. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  4. चुप-चुप है मौन प्यार ,खिल खिल जाए बहार
    जब जब होवे दीदार ,तुम बस कोई नहीं
    ..बढ़िया खूबसूरत अन्दाज में रची रचना ..

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  5. आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद ......स्वागत है आपका

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  6. धरती चाँद और ये गगन ,कर दूं मैं तुझे समर्पण
    सूना था दिल का आँगन ,तुम-ही-तुम कोई नही

    सुन्दर समर्पण

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