मई 16, 2011

मेरे मन मंदिर में.....




मेरे मन मंदिर में  उजाला भर दे कोई
बरसों से रीता मन में प्यार जगा दे कोई

पानी जो ठहरा हुआ है कंकड़ मारे कोई
उन हिलोरों में प्यार जगाये कोई

मेरे इस जीवन में जो एकाकीपन है
इस एका पल को भी छेड़ जाए कोई

निस्संग बिताये लम्हों से ये गुज़ारिश है
लम्हा-लम्हा इस दिल में समाये कोई

इन लम्हों की रह जाए बस केवल यादे
इस तनहा दिल में खुशियाँ भर जाए कोई

14 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे मन मंदिर में उजाला भर दे कोई
    बरसों से रीता मन में प्यार जगा दे कोई


    aapki ikshha puri ho..:)
    pyari si abhivyakti!

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  2. इन लम्हों की रह जाए बस केवल यादे
    इस तनहा दिल में खुशियाँ भर जाए कोई ..

    बहुत सुंदर शेर हैं ... आशा वादी संदेश देती है ये लाजवाब ग़ज़ल ...

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  3. निस्संग बिताये लम्हों से ये गुज़ारिश है
    लम्हा-लम्हा इस दिल में समाये कोई
    aameen

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  4. आप के मन मंदिर में
    मूरत किसी की सज जाए
    आपकी इबादत का
    सिला मिल जाए
    निरंतर दुआ मेरी
    आपकी हसरतें पूरी हो जाए
    हमेशा की तरह
    अना जी खूबसूरत
    लिखती हैं आप
    निरंतर ख़ूबसूरती से
    लिखते जाएँ

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  5. बहुत खूबसूरत शब्दों से सजाया है आपने इस कविता को.
    बहुत अच्छी लगी.

    सादर

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  6. प्यार से भर देंगे हम गागर दिल की
    रीता दिल लेकर जो पास हमारे आये कोई

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  7. इन लम्हों की रह जाए बस केवल यादे
    इस तनहा दिल में खुशियाँ भर जाए कोई

    बेहतरीन शब्द , ख्वाहिशे जरूर पूर्ण होगी शुभकामनायें

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  8. निस्संग बिताये लम्हों से ये गुज़ारिश है
    लम्हा-लम्हा इस दिल में समाये कोई... bhut hi sunder shabd rachna... kai baar padi bhut acchi lagi...

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  9. सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
    बहुत बढ़िया.
    आप LIC में हैं,जानकर अच्छा लगा.

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  10. सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति|

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