मई 04, 2011

चादर पर पड़े .......


चादर पर पड़े सिलवटों की भी जुबां होती है
कभी प्यार तो कभी ग़म की कहानी कहती है


रेत गीली कर जाती है जो तूफ़ानी समंदर
वो समुंदर भी आंसुओं से ही नमकीन होती है


मिटटी की सोंधी खुशबू ने जिन फिज़ाओं को महकाया है
उन फिज़ाओं में ही  पतझड़ की कहानी होती है


पानी के बुलबुले को भूल से मुहब्बत मत समझो
इन बुलबुलों में बेवफाई की दास्ताँ होती है 

16 टिप्‍पणियां:

  1. चादर पर पड़े सिलवटों की भी जुबां होती है--- vaah bahut khoob sabhee paMMktiyaaMM bahut acchee lagee| aabhaara|

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  2. मिटटी की सोंधी खुशबू ने जिन फिज़ाओं को महकाया है
    उन फिज़ाओं में ही पतझड़ की कहानी होती है

    बहुत खूब कहा आपने. बधाई
    दुनाली पर स्वागत है-
    ओसामा की मौत और सियासत पर तीखा-तड़का

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  3. मिटटी की सोंधी खुशबू ने जिन फिज़ाओं को महकाया है
    उन फिज़ाओं में ही पतझड़ की कहानी होती है

    बेहद प्रभावशाली रचना। आभार।

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  4. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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  5. सलवटों की जुबां....वाह भई समझने की बात है
    सम्पूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी

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  6. कोमल अहसासों से सने शब्द बधाई

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  7. पानी के बुलबुले को भूल से मुहब्बत मत समझो
    इन बुलबुलों में बेवफाई की दास्ताँ होती है

    सुन्दर लिखा है .

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  8. सम्पूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी|धन्यवाद|

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  9. --सुन्दर नज़्म भाव पूर्ण...

    "वो समुंदर भी आंसुओं से ही नमकीन होती है.." ---क्रपया लिन्ग का ध्यान रखें...समन्दर के लिये..होता है.. होना चाहिये...

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  10. बहुत अच्छे भाव लिए हुए है आपकी ये रचना

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  11. अनामिका जी सुन्दर रचना -भाव भाव बहुत प्यारे पर जैसा की हमने पहले भी आप का ध्यान जागरण जंक्सन पर भी दिलाया था

    स्त्रीलिंग और पुल्लिंग का ध्यान रखा कीजिये भाव और रचना तब और खूबसूरत बन जाये कृपया निम्न सुधारें

    रेत गीला कर जाता है जो तूफ़ानी समंदर
    वो समुंदर भी आंसुओं से ही नमकीन होता है

    शुक्ल भ्रमर ५

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