(1) 
चाँद खिला पर रौशनी नही आयी 
रात बीती पर दिन न चढ़ा 
अर्श से फर्श तक के सफ़र में 
कमबख्त रौशनी तबाह हो गया 
(2) 
दिल की हालत कुछ यूं बयान हुई 
कुछ इधर गिरा कुछ उधर गिरा 
राह-ए-उल्फत का ये नजराना है जालिम 
न वो तुझे मिला न वो मुझे मिला 
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कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता।
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ .. बहुत प्यारी रचना है
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