अगस्त 23, 2011

कविता रच डाली............

Storm Watchआसमान में बादल छाया
छुप गया सूरज शीतल छाया
मेरे इस उद्वेलित मन ने
          कविता रच डाली

ठंडी हवा का झोंका आया
कारी बदरी मन भरमाया
मन-मयूर ने पंख फैलाकर
                                                         कविता रच डाली

गीली मिटटी की खुश्बू से
श्यामल-श्यामल सी धरती से
मन के अन्दर गीत जागा और
            कविता रच डाली

ये धरती ये कारी बदरी
मन को भरमाती ये नगरी
उद्वेलित कर गयी इस मन को और मैंने
                        कविता रच डाली

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह क्या कहने कुदरत है ही इतनी सक्षम की इसकी एक एक गतिविधि सृजन की और ले जाती है kavita क्यु न बन पाती इसकी रचना तो स्वाभाविक है ...आप एक समर्थ कवियित्री हो

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  2. बहुत सुन्दर कविता |
    कृपया मेरी रचना देखें और ब्लॉग अच्छा लगे तो फोलो करें |
    सुनो ऐ सरकार !!
    और इस नए ब्लॉग पे भी आयें और फोलो करें |
    काव्य का संसार

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  3. डी हवा का झोंका आया
    कारी बदरी मन भरमाया
    मन-मयूर ने पंख फैलाकर
    कविता रच डाली.....

    सुन्दर अभिव्यक्ति...
    सादर बधाइयां...

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